Friday, October 10, 2008

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*अपने माता - पिता को अपना अवसाद/डिप्रेशन कैसे बताएं ?*

हमें अपने पेरेंट्स से हमेशा अपने अवसाद या डिप्रेशन के बारे में बात करना काफी मुश्किल लगता है । हमको यह डर होता है कि वे हमें सीरियसली नहीं लेंगे या हमें भला बुरा कहेंगे । लेकिन, कुछ आसान तरीकों से हम अपने माता पिता को अपनी परेशानियों के बारे में सब कुछ बता सकते हैं ।
सबसे पहले अपने, अवसाद /डिप्रेशन और उसके लक्षणों के बारे में जानकारी इकट्ठी करके इसके बारे में बात करने की अच्छी तरह से हमें तैयारी करनी चाहिए । इसके बाद,अपने माता - पिता के साथ आमने-सामने बैठकर बात करनी चाहिए । अंत में, अपने माता - पिता से जानें कि कि अगर आप अपने डिप्रेशन के लिए ट्रीटमेंट कराना चाहते हैं तो वे आपकी किस प्रकार से मदद कर सकते हैं ।
डिप्रेशन के लक्षणों को पहचानें: अपने माता - पिता को अपने डिप्रेशन के बारे में बताने से पहले आप सुनिश्चित करें कि क्या सच में आपको डिप्रेशन ही है ? किशोरों और युवाओं में डिप्रेशन के लक्षण अलग-अलग तरह के हो सकते हैं । आप खुद को दुविधा में पड़ा हुआ, थका हुआ, उलझा हुआ , क्रोधित या बहुत अधिक दुखी अनुभव कर सकते हैं । आपको स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी में भी काफी संघर्ष करना पड़ सकता है और हलकी सी परेशानी से भी आपका दिल डूबने लगता है, एकाग्रचित्त होने और चीजें याद रखने में हमेशा परेशानी होती है ।
आपको सोने में परेशानी हो सकती है या फिर बहुत ज्यादा नींद आने लगती है । आप अपनी फीलिंग्स को सुन्न करने के लिए ड्रग्स और अल्कोहल का सहारा लेने लगते हैं या दूसरी रिस्की एक्टिविटी करने लगते हैं । आपको अकेलेपन से प्यार होने लगता है और आप ख़ुद को लोगों से कटा हुआ महसूस करने लगते हैं।
अगर आप नहीं जानते कि आप जो भी महसूस कर रहे हैं, वो डिप्रेशन है या नहीं तो बेहतर होगा कि आप अपने लक्षणों के बारे में खुलकर अपने माता - पिता से बात करें जिससे आपको मदद मिल सके ।
इस बात को समझें कि यह काफी मुश्किल कन्वर्सेशन या बातचीत होगी । अपने माता - पिता को अपने डिप्रेशन के बारे में बताते समय आप काफी इमोशनल हो सकते हैं। आप रो सकते हैं या आपके पेरेंट्स रोने लग सकते हैं । लेकिन यह पूरी तरह से सामान्य होता है । अवसाद एक मुश्किल विषय है और इसे और बिगड़ने से पहले ही इसका पता लगाकर आपको सही चीज़ें करनी होती हैं ।
संभावना है कि आपके माता - पिता पहले ही नोटिस कर लेते हैं कि कुछ न कुछ गलत हो रहा है | उन्हें सिर्फ यह नहीं पता होता कि वो या चीज़ है या वे कैसे अपनी मदद कर सकते हैं। अपनी परेशानी का कारण पता चलते ही आप उन्हें बेहतर फील कराने और आगे के एक्शन के बारे में बताने में मदद कर सकते हैं ।

गाइडेंस के लिए किसी ऐसे व्यक्ति से सलाह लें जिस पर आपको भरोसा हो: आपको अपनी मानसिक परेशानी के बारे में बताने पर माता - पिता से मिलने वाले रिएक्शन के बारे में चिंता हो सकती है । अगर ऐसा है तो आप स्कूल में काउंसलर, टीचर या कोच से सलाह ले सकते हैं, अपने परम मित्र से, बड़े भाई बहन से सलाह ले सकते हैं । इससे आपको अपने पेरेंट्स से अपने डिप्रेशन के बारे में बात करने का हौसला मिल सकता है ।

तय करें कि आप यह खबर पहले किसे देना चाहते हैं: तय करें कि आप सबसे पहले अपने किसी एक पेरेंट से बात करना चाहते हैं या एक ही समय पर दोनों पेरेंट्स को बताना चाहते हैं । संभावना है कि आप अपने किसी एक पेरेंट के ज्यादा नज़दीक हो सकते हैं इसलिए आप उनसे बात कर सकते हैं क्योंकि वे बेहतर रियेक्ट कर सकते हैं बल्कि आपको यह भी लग सकता है कि इनमे से एक पैरेंट आपकी परेशानी का एक हिस्सा हैं । सबसे पहले अपने उस पैरेंट से बात करें जिसके साथ आप सबसे ज्यादा कम्फ़र्टेबल फील करते हैं । ये पेरेंट दूसरे पैरेंट को बताकर आपकी मदद कर सकते हैं ।
अगर आपको शब्द चुनने में मुश्किल हो रही हो तो एक पत्र लिखें: कई बार, अपनी फीलिंग्स को बताना सच में काफी मुश्किल होता है । आप एक टेक्स्ट मेसेज भेजकर या एक नोट लिखकर अप्रत्यक्ष तरीके से अपने माता - पिता के साथ यह खबर साझा करके बेहतर अनुभव कर सकते हैं ।
एक सीरियस तरह से इस बात का इज़हार करें जिससे आपके माता - पिता जान सकें कि यह सच में एक परेशानी है । अपने कुछ लक्षणों को खुलकर बताएं, उन्हें बताएं कि डिप्रेशन कैसे आपके जीवन को प्रभावित कर रहा है और स्वयं को चिकित्सक/डॉक्टर के पास ले जाने के लिए कहें ।

आप जो कहने वाले हैं, उसकी कई बार प्रेक्टिस करें: डिप्रेशन जैसे मुश्किल विषय पर बात करना बहुत कठिन होता है । शीशे के सामने तेज़-तेज़ बोलकर या अपने किसी क्लोज फ्रेंड के साथ रोल-प्ले के जरिये इस ख़बर को अच्छे और व्यवस्थित तरीके से बताने का अभ्यास करें । इससे बात करते समय आप ज्यादा सहज अनुभव करेंगे ।
कुछ मुख्य बिंदु लिखें जिन्हें आप बताना जरुरी समझते हैं और फिर इन्हें बातचीत के दौरान बताएं । इस तरह से, आप इमोशनल होने पर भी सारी बातें कर पाएंगे ।

उनके सवालों का अनुमान लगायें: डिप्रेशन को विस्तार से बताने के लिए और अपनी भावनाएं और लक्षणों को समझाने के लिए तैयार रहें । अपनी रिसर्च के जरिये आप अपने पेरेंट्स के द्वारा की जाने वाली मदद के बारे में भी अपना सहज ज्ञान बता सकते हैं । आपके पेरेंट्स आपसे कई तरह के सवाल पूछ सकते हैं । आपको अपने जबाव पहले से ही सोच लेना चाहिए या आप उनसे कह सकते हैं कि आप मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल से बात करने में ज्यादा सहज अनुभव करेंगे 
 यहाँ कुछ ऐसे उदाहरण दिए जा रहे है जिस तरह के सवाल आपके पेरेंट्स आपसे कर सकते हैं
क्या तुम खुद को नुकसान पहुंचाने वाले हो या खुदखुशी करने वाले हो?
तुम्हे कब से ये सब फील हो रहा है?
क्या तुम्हारे साथ कुछ हुआ है जिससे तुम्हे इस तरह फील होता है?
तुम्हे बेहतर फील कराने के लिए हम तुम्हारी मदद कैसे कर सकते हैं?
पेरेंट्स के द्वारा नए सवाल पूछे जाने की अपेक्षा रखें क्योंकि जब आप कुछ कहेंगे तो वे उसके बारे में सोचेंगे । उन्हें पूरी तरह से समझ आने तक आपको डिप्रेशन के बारे में कई बार बताना पड़ सकता है लेकिन बाद में किये जाने वाले ये डिस्कशन पहले के मुकाबले ज्यादा आसान होंगे ।
बातचीत करें
बात करने के लिए कोई अच्छा समय चुनें: आपको बात करने के लिए ऐसा समय चुनना होगा, जब आप या आपके पेरेंट्स का मुद्दे से ध्यान न हट सके । यह शांतिपूर्ण समय होना चाहिए, जब आप अपने पेरेंट्स से आमने-सामने बैठकर या दोनों के साथ अकेले में बात कर सकें । इस सब्जेक्ट पर बात करने के लिए लॉन्ग कार राइड, शांतिपूर्ण शाम का समय, एकसाथ काम करते हुए और लॉन्ग वॉक पर जाते समय बेहतरीन मौके होते हैं ।
अगर आपके पेरेंट्स बिजी हों तो उनसे पूछें कि उचित समय कब है । कुछ इस तरह कहें "मुझे आपसे कुछ बहुत जरुरी बात करनी है । हम दोनों के एक प्राइवेट कन्वर्सेशन के लिए बेहतर समय कौन सा होगा ?"

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उन्हें बताएं कि यह सीरियस बात है: कई बार, पेरेंट्स गलती करते है और डिप्रेशन के बारे में अपने बच्चे को सीरियसली नहीं लेते । आप पहले ही उन्हें अपनी बात की गंभीरता का अंदाजा देकर उनका पूरा अटेंशन पा सकते हैं ।
आप यह कहकर बात की गंभीरता का अंदाजा दे सकते हैं, “मैं सच में बहुत बड़ी परेशानी में हूँ और मुझे मदद की जरूरत है । मुझे आपको ये बताना बहुत जरुरी लगता है ।"
कुछ केसेस में, बात करने का मौका और मुद्दे की गंभीरता नेचुरली स्वयं ही दिखाई दे सकती हाई | उदाहरण के लिए, आप रोना शुरू कर सकते हैं और अपनी फीलिंग्स का सैलाव बहा सकते हैं या आप स्कूल से बहुत ज्यादा हताश हो सकते हैं और वे आपसे पूछे सकते हैं कि आपको कोई परेशानी तो नहीं है ।
अपनी फीलिंग्स के बारे में "मैं" के साथ संबोधन करे: “मैं” स्टेटमेंट्स के साथ बात कहने से अपने पेरेंट्स को डिफेंसिव बनाये बगैर या उनका सुरक्षाकवच लिए बगैर आप अपनी फीलिंग्स बता सकते हैं । उदाहरण के लिए, कहें, “आपकी लड़ाई मुझे दुखी कर देती है” ऐसा कहने से आपके पेरेंट्स को लगेगा कि उन्हें अपनी सफाई देना पड़ेगी जिससे वे आपकी बात को कम सुनना पसंद करेंगे। इसलिए ऐसा कहने की बजाय सारी बातें केवल अपने और अपनी फीलिंग्स के बारे में ही कहें ।
”मैं” स्टेटमेंट्स ऐसे हो सकते हैं, जैसे, "मैं सच में थक चुका हूँ और उदास रहने लगा हूँ । अब तो सोना भी मुश्किल हो गया है ।" या " मैं जनता हूँ कि मैंने हाल ही पागलों जैसा बर्ताव किया था । मैं सच में महुद को पागल समझने लगा हूँ और कई बार मुझे खुद से नफरत होती है | मुझे मरने की इच्छा होती है ।"

आप जो भी फील करते हैं, उसे कोई नाम दें: जब आप अपनी परेशानी का नाम बताएँगे तो वे जान पाएंगे कि आप उससे कैसे प्रभावित होते हैं । आपने डिप्रेशन के बारे में जो भी रिसर्च की थी, उसके बारे में उन्हें बताएं या उन्हें इस विषय में मदद करने वाले आर्टिकल्स दिखाएँ "मैंने डिप्रेशन के बारे में कुछ आर्टिकल्स देखे हैं । इनमे बतायी गयी चीजें काफी कुछ वैसी ही हैं, जिस स्थिति से मैं गुजर रहा हूँ और मुझे लगता है कि ये मुझे हो सकता है ।"
अगर वे आपकी फीलिंग्स को “उदासी ” या “ खुश न होना” कहकर आंकलन करें तो उन्हें बताएं कि आप डिप्रेशन के क्लिनिकल क्राइटेरिया पर खरे उतरते हैं ।
अगर आपके पेरेंट्स बहुत बुरी तरह से रियेक्ट करें तो घबराएं नहीं: हो सकता है कि आपके पेरेंट्स आपके डिप्रेशन की खबर पर उस तरह से रियेक्ट न करें जैसा आपने सोचा हो । वे अविश्वास, आत्मदोष, गुस्से या डर के साथ रियेक्ट कर सकते हैं । ध्यान रखें कि आप काफी समय से डिप्रेशन से जूझते रहे हैं लेकिन वे अभी इसके बारेमे सीख रहे हैं । उन्हें इस बात को हजम करने के लिए थोडा समय दें और उन्हें पता लगने दें की वे सच में कैसा महसूस करते हैं । 
अगर वे कन्फ्यूज हों तो कहें "मुझे भी अपने डिप्रेशन को समझने में बहुत लम्बा समय लगा था ।" याद रखें, यह आपकी गलती नहीं है ।आपने सही किया था और उन्हें समझाने का यही सही रास्ता है ।
अगर आपके पेरेंट्स आपनी बात को सीरियसली नहीं लेते तो उनके कोई भी एक्शन लेने या ना लेने तक उनसे कहते रहें । भले ही आपके पेरेंट्स आप पर भरोसा करें या नहीं, डिप्रेशन काफी सीरियस होता है ।
आप पूरी कोशिश करें की अपने माता पिता को अपनी मानसिक हालत और अवसाद/डिप्रैशन के बारे में बताएं, कारण बताएं ताकि वो आपका साथ दें और आपको डिप्रैशन से उबारने में मदद करें।




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It's me and Only Me 

hi FriendZ,

i am I,means me is me,a nice wonderful Human being,who never hurt others,never fight with any one........and never disturb anyone unless it's too important.