Tuesday, July 7, 2020


शायर वो है जो अपनी शायरी से सभी का दिल को चुरा ले, शायरी का जादू हर दिल पे चला डाले।

1 सितंबर 1958 को चांदपुर बिजनौर उत्तर प्रदेश (भारत) में जनाब हस्मतुल्लाह जी के घर जन्में  शकील जमाली साहब आज पूरी अदब की दुनियां के शकील जमाली साहब बन चुके हैं, या यूं कहा जाये की हिंदुस्तान का बेटा पूरी अदब की दुनियां का सबसे पसंदीदा शायरों की फ़ेहरिस्त का एक बुलंद नाम बन चुका है, एक बहुत ही बड़ा हस्ताक्षर बन चुका है तो यह बात सौ फ़ीसदी सच ही साबित होगी।
जश्न ए रेख़्ता के स्टेज  और समय समय पर कई अन्य अदबी महफिलों को रौशन करती एक शख्सियत जो अदब की दुनियां ही नहीं बल्कि पूरी दुनियां में अपनी बेहतरीन मुस्कान, पाक दिल और साफ़गोई के लिए ही जाने जाते हैं, मैं अक्सर कहता हूं शकील जमाली साहब से की अगर इस दुनियां की सबसे बेहतरीन मुस्कुराहट वाले लोगों की फ़ेहरिस्त बनाई जाएगी तो आप का नाम यक़ीनन अव्वल दर्जे पर आएगा और आये भी क्यों ना, जादू ही ऐसा है आपकी मुस्कुराहट और शख्सियत का।आप की जिंदादिली की मिसाल पूरी दुनियां देती है, एक बार जो भी आप से जुड़ा,बस आपका मुरीद हो कर रह गया।
शकील जमाली साहब अपने अशआर को जिन अल्फ़ाज़ में पिरोते हैं उनके मायने गज़ब की गहराई रखते हैं।आपकी सादगी में जो बात है, वह दुनियां में अक्सर बहुत कम लोगों में मिलती है, जितनी पाक रूह, उतने ही बेमिसाल इंसान।
यक़ीनन आप अपने आप में  अदब और सुखनवरी की यूनिवर्सिटी, विश्व विद्यालय हैं। अदब की दुनियां में अक्सर लोग अपनी बात करते हैं, वहीं एक आप हैं जो हमेशा ही बड़े शायरों की बात करते हैं, अपने से बड़ों को याद करते हैं, अपने समकालीन शायरों और अपने से उम्र में कम शायरों की इज्ज़त अफजाई करते हैं।
2019 में ज़ी टीवी सलाम पर आपने ऊर्दू शायरों की शख्सियत और उनकी शायरी की बात की  और जिसमें लगभग 80-90 कड़ियों में क्लासिक  के शायरों, शायरी और सुखनवरी के बड़े दस्तख़त जैसे कि मीर, गालिब, मौमिन, ज़ौक, दाग़, आतिश, नासिख़, फ़ैज़ ,जोश, बाशिर बद्र , इरफ़ान सिद्दीकी, नासिर काज़मी, अहमद जावेद, परवीन शाकिर जी, ज़फ़र इक़बाल, एहमद मुश्ताक, नूर नारवी, हसरत, फ़ानी, यगाना और कई अन्य उर्दू  के बड़े शायरों  की ज़िन्दगी और शायरी की बात की गई थी।
आप हमेशा बड़े शायरों, पुराने शायरों के साथ साथ आज के दौर के जो बेहतरीन शायर हैं, उन्हें पढ़ने के लिए सभी को प्रोत्साहित करते हैं।
आप अक्सर कहते हैं कि शायर वही याद रहता है जो ज़मानों और वक़्त से ऊपर की बात करता है. कमज़ोर शायरी ही जुमलों की मोहताज होती है। किसी भी क़ामयाब महफ़िल के लिए मेज़बान,शायर और सामईन बराबरी के हक़दार होते हैं।
क्या लिखना है, क्या नहीं लिखना है, कैसे आगे बढ़ना है,आप बेहद सादगी और बेहतरीन तरीक़े से सभी नौजवानों को समझाते हैं। वक़्त के साथ चलना, टेक्नोलोजी के साथ चलने पर भी आप ज़ोर देते हैं। लगातार पढ़ना और पढ़ते रहने पर आपका खासा ज़ोर रहता है। जब भी ख़ाली वक़्त मिलता है आपको, उसमें भी आप पढ़ते ही रहते हैं।
आपकी लिखी गजलों की धूम से बॉलीवुड भी अछूता नहीं रहा, वीनस कैसेट्स के लिए अतलाफ राजा जी ने आपकी अनगिनत गजलें गाई हैं।
शिक्षा क्षेत्र में भी आपने अपने आप को अव्वल ही साबित किया, आपने पॉलिटिकल साइंस में एम.ए किया है।
आपकी 3 किताबें अभी तक प्रकाशित हो चुकी हैं, जो हैं :-
धूप तेज़ है,कटोरे में चांद, कागज़ पर आसमान । दुनियां में उर्दू में गज़लों की शायद ही कोई ऐसी पत्रिका हो जिसमें आपकी गज़ल ना छपी हो, शायद ही हिंदुस्तान का कोई बड़ा अदबी मंच हो या शहर हो जहां आपकी गजलों ने धूम ना मचाई हो।
हिंदी और उर्दू भाषा पर तुलना का सवाल आता है  तब शकील जमाली साहब कहते हैं, हिंदी और उर्दू एक दूसरे की पूरक भाषाएं हैं, जिस तरह  तितली और फूल को अलग करके नहीं देखा जा सकता। उसी तरह हिंदी और उर्दू को भी अलग नहीं किया जा सकता। हिंदी भाषा ने सबको एक सूत्र में पिरोया है।

रिश्तों की बात करते हुए आप कहते हैं, सबसे पहले दिल के खाली पन को भरना जरूरी है, क्यों कि पैसा सारी उम्र कमाया जा सकता है। हमें मूल्यों की फिक्र करते हुए रिश्तों की कद्र करने की जरूरत है और यही सोच आपकी गजलों, शेर ओ शायरी में भी नज़र आती है।
चांदपुर, बिजनौर, उत्तर प्रदेश (भारत ) का नाम यक़ीनन आप के दम से बुलंद है, रौशन है और यक़ीनन आप से सभी उभरते शायर, और सुखनवरी में दिलचस्पी रखने वालों को जितना सिखने मिलता है उसकी जितनी भी तारीफ़ की जाए वह कम ही होगी।
इंटरनेट, यूट्यूब पे अगर किसी शायर को सबसे ज्यादा मोहब्बत हासिल है,तो यक़ीनन यहां भी आप ही बाज़ी मारते दिखते हैं।
सुखनवरी को, शायरी को, अदब को सबसे पहले पायदान पर रखने वाले आप और अपने जज़्बे को लाखों सलाम हैं।
सभी से मोहब्बत करने वाले, सभी को बराबर देखने वाले, शकील जमाली साहब वाकई में शान ए हिंदुस्तान हैं।
©Abhishek Tiwari







शकील जमाली साहब की चंद गजलें और तस्वीरें
*
अश्क पीने के लिए ख़ाक उड़ाने के लिए
©शकील जमाली
अश्क पीने के लिए ख़ाक उड़ाने के लिए
अब मिरे पास ख़ज़ाना है लुटाने के लिए
ऐसी दफ़अ' न लगा जिस में ज़मानत मिल जाए
मेरे किरदार को चुन अपने निशाने के लिए
किन ज़मीनों पे उतारोगे अब इमदाद का क़हर
कौन सा शहर उजाड़ोगे बसाने के लिए
मैं ने हाथों से बुझाई है दहकती हुई आग
अपने बच्चे के खिलौने को बचाने के लिए
हो गई है मिरी उजड़ी हुई दुनिया आबाद
मैं उसे ढूँढ रहा हूँ ये बताने के लिए
नफ़रतें बेचने वालों की भी मजबूरी है
माल तो चाहिए दूकान चलाने के लिए
जी तो कहता है कि बिस्तर से न उतरूँ कई रोज़
घर में सामान तो हो बैठ के खाने के लिए
*
सफ़र से लौट जाना चाहता है
शकील जमाली
सफ़र से लौट जाना चाहता है
परिंदा आशियाना चाहता है
कोई स्कूल की घंटी बजा दे
ये बच्चा मुस्कुराना चाहता है
उसे रिश्ते थमा देती है दुनिया
जो दो पैसे कमाना चाहता है
यहाँ साँसों के लाले पड़ रहे हैं
वो पागल ज़हर खाना चाहता है
जिसे भी डूबना हो डूब जाए
समुंदर सूख जाना चाहता है
हमारा हक़ दबा रक्खा है जिस ने
सुना है हज को जाना चाहता है
*
अगर हमारे ही दिल में ठिकाना चाहिए था
शकील जमाली
अगर हमारे ही दिल में ठिकाना चाहिए था
तो फिर तुझे ज़रा पहले बताना चाहिए था
चलो हमी सही सारी बुराइयों का सबब
मगर तुझे भी ज़रा सा निभाना चाहिए था
अगर नसीब में तारीकियाँ ही लिक्खी थीं
तो फिर चराग़ हवा में जलाना चाहिए था
मोहब्बतों को छुपाते हो बुज़दिलों की तरह
ये इश्तिहार गली में लगाना चाहिए था
जहाँ उसूल ख़ता में शुमार होते हों
वहाँ वक़ार नहीं सर बचाना चाहिए था
लगा के बैठ गए दिल को रोग चाहत का
ये उम्र वो थी कि खाना कमाना चाहिए था
*
वफ़ादारों पे आफ़त आ रही है
शकील जमाली
वफ़ादारों पे आफ़त आ रही है
मियाँ ले लो जो क़ीमत आ रही है
मैं उस से इतने वा'दे कर चुका हूँ
मुझे इस बार ग़ैरत आ रही है
न जाने मुझ में क्या देखा है उस ने
मुझे उस पर मोहब्बत आ रही है
बदलता जा रहा है झूट सच में
कहानी में सदाक़त आ रही है
मिरा झगड़ा ज़माने से नहीं है
मिरे आड़े मोहब्बत आ रही है
अभी रौशन हुआ जाता है रस्ता
वो देखो एक औरत आ रही है
मुझे उस की उदासी ने बताया
बिछड़ जाने की साअ'त आ रही है
बड़ों के दरमियाँ बैठा हुआ हूँ
नसीहत पर नसीहत आ रही है