Thursday, July 14, 2022

Project Chocolate By Chef Abhishek Tiwari

 I was not able to sleep since last past 2 years,as I am having only one dream,i.e to make chocolates,but not an ordinary one.

The kind of chocolate I want to make is the one,which will bring accolades to my country ,my department ,my community and my family.

Making chocolate is not a rocket science,but making a perfect chocolate,which is gluten free,rich in taste and a perfect one,needs proper practice and for this you have to learn about different types of chocolates and making a perfect ganache.


Monday, April 4, 2022

रियल फेथ ट्रस्ट द्वारा चित्र कला प्रतियोगिता का आयोजन

 रियल फेथ ट्रस्ट की ओर से समाज के निम्न वर्ग के बच्चों के लिए एक चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन रियल फेथ ट्रस्ट के कार्यालय पोसंगीपुर में करवाया गया । इस चित्रकला प्रतियोगिता में  करीब 50 बच्चे आस पड़ोस के स्लम बस्तियों से आए थे,जिनकी आयु लगभग 5 वर्ष से 15 वर्ष के मध्य थी। सभी बच्चों ने पूर्ण उत्साह के साथ इस प्रतियोगिता में भाग लिया और अपनी चित्रकारी से सभी का मन मोह लिया। समाज को  भिन्न भिन्न विषयों पर संदेश देती चित्रकारी को सभी ने बहुत सराहा इसके साथ ही रियल फेथ ट्रस्ट द्वार सभी बच्चों को अपनाया (एडॉप्ट किया ) गया और इन शोषित, पीड़ित, वंचित, निम्न वर्ग के बच्चों की सभी जरूरतों को पूर्ण करने का आश्वासन भी दिया।  हर बच्चे की अलग अलग इच्छाओं की पूर्ति के लिए उनसे उनकी इच्छाएं, जरूरतें , आकांक्षा और अभिलाषाएं पूछी गई।

किसी बच्चे ने कंप्यूटर सीखने की इच्छा जताई तो किसी ने इंग्लिश सीखने की,कुछ बच्चे आत्म रक्षा के लिए मार्शल आर्ट, कुंग फू कराटे सीखना चाहते हैं तो वहीं कुछ बच्चे जो पढ़ाई (शिक्षा) में कमजोर हैं, तो उन्होंने ट्यूशन पढ़ने की ईच्छा जताई। कई  बच्चे अलग अलग प्रकार की विधाएं , कला , कौशल (स्किल्स) सीखना चाहते हैं, उन्हें वो विधाएं सीखने के लिए रियल फेथ ट्रस्ट द्वारा आश्वासन दिया गया। इस प्रोग्राम में मुख्य अतिथि के रुप में श्री गुरविंदर सिंह (चंद्र विहार ) ने शिरकत की  आपने बच्चों के लिए स्टेशनरी का प्रबन्ध किया , वहीं विशिष्ट अतिथि टिंकू सोलंकी जी ने बच्चों के लिए खान पान की पूर्ण व्यवस्था करी। वहीं अति विशिष्ट अतिथि उर्मिला चावला जी ने कहा कि मैं भविष्य में भी  रियल फेथ ट्रस्ट के आयोजनों में पूर्ण रूप से सहयोग दूंगी और ट्रस्ट द्वारा गोद लिए गए बच्चों की सभी आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिए सदैव प्रयासरत रहूंगी। साथ ही साथ बच्चों के खान पान की जब जैसी आवश्यकता होगी , आपने उसकी देख रेख का भी पूर्ण आश्वासन ट्रस्ट को प्रदान किया।

रियल फेथ ट्रस्ट की  संस्थापिका नीलम सैनी, इंदर ढिल्लों,परम संधू, पिंकी वर्मा गीता अरोड़ा की सहभागिता एवं सहयोग से यह  अयोजन सुचारू रूप से आयोजित करवाया गया और सफ़ल भी हुआ।

सभी बच्चों की चेहरे की मुस्कुराहट ने कार्यक्रम की सफ़लता को प्रमाणित किया।

रियल फेथ ट्रस्ट का उद्देश समाज के विभिन्न वर्गों के बच्चों, महिलाओं, पुरुषों के हितों की रक्षा कर के एक अच्छा समाज और देश बनाना है, ट्रस्ट भविष्य में भी ऐसे ही कार्यरत रहेगा।

© अभिषेक तिवारी , प्रेस सचिव ( रियल फेथ ट्रस्ट)

एस आर हरनोट के निर्मल वर्मा

S R Harnot के निर्मल वर्मा

कई लेखकों, कथाकारों, बुद्धिजीवियों, संपादकों और पत्रकारों ने भारतीय आधुनिक साहित्य के सम्मानित मूर्धन्य लेखक स्वर्गीय श्री निर्मल वर्मा जी के बारे में काफ़ी कुछ लिखा।

उनकी कई पुस्तकों, किताबों, कहानियों, निबंधों, यात्रा संस्मरणों, लेखों, डायरी के अंश, नाटक, संभाषण, साक्षात्कार, पत्रों, संचयन के बारे में काफ़ी कुछ लिखा गया, कभी आलोचना, कभी समालोचना तो कभी बांधे गए तारीफों के पुल, बांधे भी क्यों ना जाते; क्यों की निर्मल वर्मा को जिसने भी पढ़ा, सुना, जाना, वही निर्मल वर्मा का हो गया,या यूं कहो निर्मल वर्मा का दीवाना बन गया।

मैं अनभिज्ञ था निर्मल वर्मा से, मुझे नहीं पता था कौन है निर्मल वर्मा, कहां से है निर्मल वर्मा, कैसे हैं निर्मल वर्मा और क्या है उनकी व्यक्तिगत उपलब्धियां ! मुझे तो यह भी नहीं पता था की आधुनिक बोध लाने वाले कहानीकारों, कथाकारों में निर्मल वर्मा अग्रणी हैं। अज्ञेय और निर्मल वर्मा ही ऐसे साहित्यकार थे जिन्होंने भारतीय और पाश्चात्य संस्कृतियों पर गहनता, सघनता और व्यापकता से अपने अनुभवों के द्वारा अंतर्द्वंद को व्यक्त किया।

कौन से पुरस्कार और क्या ही थे पुरस्कार , निर्मल वर्मा के व्यक्तित्व के आगे ; साहित्य अकादमी सम्मान, मूर्तिदेवी पुरस्कार, ज्ञान पीठ सम्मान, पद्म भूषण सम्मान प्राप्त लेखक को दुनियां में किसी सम्मान की आवश्यकता नहीं थी, परंतु फिर भी सम्मान समय समय पर आपके कदम चूमते ही रहे।

हरबर्ट विला और लाल टीन की छत का, भज्जी हाउस का संबंध जितना पुराना है, शायद उतना ही पुराना मेरा संबंध है एस आर हरनोट से, " जी" ना मैंने निर्मल वर्मा के नाम के आगे लगाया और ना ही हरनोट के नाम के आगे लगाया है इस लेख में ;क्यों की जो अपना है, अपना हिस्सा है, अपनी आत्मा का एक अंश है, उसमें और ख़ुद में ना कोई तकल्लुफ है और जहमत उठाने की भी कोई आवश्यकता नहीं है, क्यों की, इनके लिए दिल की अथाह गहराइयों से शत शत नमन और चरण वंदना है और हो भी क्यों ना !

पहाड़ों की विषमताओं को, जीवन को, दुश्वारियों, मुश्किलों को जिस सहजता के साथ यह दोनों सहजते हैं, जीते हैं, शायद ही कोई और लेखक उसे अपने शब्दों के माध्यम से पिरो पाता, जीता होगा या बांध पाता होगा।

निर्मल वर्मा तो अमर हो गए पर अपना अंश एस आर हरनोट में छोड़ गए, छोड़ते भी क्यों ना, हर द्रोणाचार्य और श्री कृष्ण को एक अर्जुन चाहिए होता है और निर्मल वर्मा के हिमाचल का वह अर्जुन कोई और नहीं श्री एस आर हरनोट हैं जो उनकी विरासत को आगे ले कर अकेला नहीं बढ़ रहा, अपितु अपने साथ 70 साहित्यकारों का भार अपने कंधो पर ले कर चल रहा है। निर्मल वर्मा को हर पल, हर क्षण अपने अंदर जीवित रख के आने वाली कई पीढ़ियों के लिए, निर्मल वर्मा के चरणों के हजारों धूल के कण पैदा कर रहा है। सरकार को, भाषा विभागों को निर्मल वर्मा अपने लगते हैं पर सिर्फ़ एक या दो तिथियों में, पर एस आर हरनोट अपने हर दिन में 86,400 बार, हर एक क्षण निर्मल वर्मा को जीते हैं, वो भी बिना किसी लालसा या परिणाम के, वो जीते हैं बाबा भलखू को, वो जीते हैं हिमाचल को, उसके साहित्य सेवकों को और साहित्य को। तभी तो उम्र के जिस पड़ाव पर लोग रिटायरमेंट ले के आराम करते हैं, उस वक्त हरनोट साहब निर्मल वर्मा स्मृति यात्रा निकालते हैं और वह भी एक दिन नहीं, बल्कि उसकी तैयारी महीनों से शुरु कर देते हैं। एक साल बीतता है तो दूसरे साल की तैयारियां शुरु कर देते हैं और फ़िर लग जाते हैं पैदा करने निर्मल वर्मा के पैरों के निशान से धूल उठा के, चरण रज उठा के बनाने एक नया निर्मल वर्मा के पैरों के धूल का कण जो एक दिन निर्मल वर्मा के सपनों का साहित्यकार बने और उस मशाल को आगे बढ़ाने में लग जाए जिसे निर्मल वर्मा स्वयं श्री एस आर हरनोट को पकड़ाकर गए हैं।

जिस दुनियां में अपनी संतान, अपने माता पिता के जन्म दिवस को भूल जाती हैं, श्राद भूल जाती हैं, वहीं एस आर हरनोट नहीं भूलते एक भी साहित्यिक तिथि और गतिविधि। ज्ञान पीठ सम्मान, साहित्य अकादमी सम्मान और पद्म सम्मान की लालसा नहीं है हरनोट साहब को उनको बस लालसा है हिमाचल के साहित्यकारों को विश्व में एक सम्मान और पहचान दिलाने की जो प्राप्त किया था चेकोस्लोवाकिया में, यूरोप में निर्मल वर्मा ने, जिसने मिटा दिया था पहाड़ों का मैदानों से भेद और जो खींच लाता है सभी को पुनः पहाड़ों पर।

जो खींच लाता है सभी को चीड़ और देवदारों के बीच काया की तरह रिज पर, मॉल रोड़ पर और शिमला में। जहां हर कोई आ कर बन जाता है निर्मल वर्मा और महसूस करता है पहाड़ी जीवन की सरसता, मधुरता, विषमता को, फिर भी खुद को प्रसन्न और आनंदित पाता है, क्यों की वो बन जाता है एस आर हरनोट का निर्मल वर्मा, कुल राजीव पंत का निर्मल वर्मा, विधा निधि छाबड़ा का निर्मल वर्मा, भारती कुठियाला का निर्मल वर्मा, डॉ देव कन्या ठाकुर का, स्नेह नेगी का , दीप्ति सारस्वत का, हिमालय साहित्य सांस्कृतिक एवम पर्यावरण मंच का निर्मल वर्मा और डॉ देवेंद्र गुप्ता का निर्मल वर्मा या यूं कहो बन जाता है इस टूटे फूटे लेख को लिखने वाले एक गुमनाम लेखक अभिषेक तिवारी का निर्मल वर्मा।

निर्मल वर्मा बन जाते हैं उनके सभी पाठक और परिंदे (1959) बन के बन जाते हैं नई कहनी आंदोलन के अग्रदूत। एक ऐसा साहित्यकार जो साहित्य की लगभग हर एक विधा में खरा उतरा क्यों की निर्मल वर्मा दुनियां में सिर्फ़ एक ही हुआ है और अब पैदा होंगे निर्मल वर्मा के चरण रज से उत्पन्न संताने जो साहित्य, मानवता और समाज में हिमाचल प्रदेश का नाम, देश का नाम सारी दुनिया में गर्व से ऊंचा करेंगे और कहेंगे हम हैं एस आर हरनोट के निर्मल वर्मा

© अभिषेक तिवारी