Friday, August 30, 2019

विगत १२ जुलाई २०१९ के दिन हम भारत के इतिहास का सबसे बड़ा पोयटिक टूर करने जा रहे थे,१० दिन के लगातार टूर की रूप रेखा तैयार हो चुकी थी,१२ को पहाड़ों की रानी, हिमाचल प्रदेश की खूबसरत राजधानी शिमला से इस सफ़र ए इश्क़ a poetic tour 
का आगाज़ होना था और फ़िर सोलन, चंडीगढ़, अमृतसर, जालंधर, फगवाड़ा, पटियाला, नोएडा, गुरुग्राम के बाद दिल्ली में इसका आखरी पड़ाव था।
परन्तु  "होइहि सोइ जो राम रचि राखा " था तो जो प्रभु की इच्छा, इसी दिन मेरी मुलाक़ात सौभाग्य से हिंदी साहित्य की महान विभूति , परम पूजनीय श्री एस आर हर्नोट जी से शिमला के रिज स्थित बुक कैफे में हुई , इस संक्षिप्त भेंट ने मेरे जीवन को एक नयी दिशा, दशा एवं जागृति प्रदान की।
जिस आयु में व्यक्ति अपने पेंशन जीवन के सुख़ एवं आनंद में व्यतीत करते हैं, उस आयु में एक व्यक्ति निस्वार्थ भाव से हिंदी साहित्य जगत में साहित्यकारों के मान, सम्मान एवं प्रतिष्ठा के लिए निरंतर कठोर तपस्या रूपी प्रयास कर रहा है।
अपने सुख की चिंता छोड़, एक महात्मा सम जीवन व्यतीत करने वाले, सदैव मुख पे मुस्कान रखने वाले, सबको प्रेम भाव से गले लगाने वाले, ऐसे हैं (मेरे... हां अब मैं स्वार्थी होना चाहता हूं), हमारे पूजनीय, श्रद्धेय श्री एस आर हर्नोट जी।
अपने आराम को, सुख को त्याग कर बलिदान देने की असंख्य कहानियों से हमारा इतिहास भरा पड़ा है और कई महान विभूतियां हमारे बीच में आज भी कार्यरत हैं,उन्हीं में से एक हैं हमारे पूजनीय एस आर हर्नोट जी।
एक महान विभूति जिस पे सिर्फ़ देवभूमि हिमाचल प्रदेश ही नहीं अपितु संपूर्ण भारत एवं हिंदी साहित्य के वर्तमान एवं इतिहास को भी गर्व होगा।मैंने स्वयं कुछ संशिप्त मुलाकातों में इसे महसूस किया है की "इतिहास वहीं बनाते हैं, जो औरों के लिए जग में आते हैं"
मेरे पूजनीय पिता श्री (डॉ) बी तिवारी आत्मजी की पंक्तियां शायद ऐसी महान विभूतियों के लिए ही लिखी गई हैं
"नफ़रत को जग से मिटाने,वो प्यार का दीप जलाने,
वो आ गया लो आ गया,मोहब्बत का खुदा"

नवीन लेखक, कवियों को समाज में, देश विदेश में मान, सम्मान और प्रेम दिलाने के लिए,
प्रतिष्ठित लेखक एवं कवियों को उनकी उचित प्रतिष्ठा और मंच दिलाने के लिए, समस्त हिंदी साहित्य जगत एवं विश्व साहित्य जगत आपका सदा ऋणी रहेगा।
आप हिमाचल प्रदेश ही नहीं, अपितु संपूर्ण भारत एवं हिंदी साहित्य जगत की एक धरोहर हैं।आपसे प्रेम पाकर हम सब कृतार्थ हैं।
आज जो आप अपने सुख का बलिदान कर के, अपने बहुमूल्य समय को साहित्य जगत के लिए निस्वार्थ दान कर रहे हैं, इसका वर्णन करने के लिए समस्त विश्व के सभी बहुमूल्य रत्न रूपी शब्द भी कम पड़ेंगे।
मैं एक छोटा सा कवि और लेखक "अभिषेक तिवारी"( गर्द ए हिन्द) बस इतना ही कहना चाहूंगा की ईश्वर आपको अच्छा स्वास्थ दे ताकि आप यूं ही समस्त साहित्य जगत को प्रकाशित करते रहें और अपना मार्गदर्शन प्रदान करते रहें
धन्यवाद
अभिषेक तिवारी

World's First Poetic Camp in the lap of himalayas
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