Thursday, September 19, 2019

धीमी मौत

धीमी मौत
हां धीमी मौत, सुन के भी एक डर का एहसास होता है ना
? की मौत हो तो एक झटके में हो जाए और दर्द भी ना हो,वैसे भी कौन चाहता है कि तड़प तड़प के मरे। लेखक और कवि सब कुछ लिखते हैं और कुछ ही ने मौत को बड़ी गहराई से पेश किया है। मैंने भी सोचा कि क्यूं ना एक धीमी मौत इजाद कि जाए और उसका तरीक़ा ऐसा की इंसान तड़प तड़प के जिये और मर भी ना पाए। सिसके, चिखे और चिल्लाए पर मर नहीं पाए। तरीक़ा जान ना नहीं चाहोगे धीमी मौत का...?तरीक़ा ऐसा की रूह भी कांप जाए।
धीमी मौत का तरीक़ा चलो बता ही देता हूं,क्यूं ना एक ऐसे कमरे में बंद कर दिया जाए जहां ढेर सारी रोशनी हो,सभी आधुनिक सुविधाएं,आपके हाथ में मोबाइल फ़ोन हो,चार्जर हो और कभी आता जाता नेटवर्क,पर उस कमरे में आपको बंद कर के ताला लगा दिया गया हो और उस कमरे में कोई चार्जिंग प्वाइंट ना हो। इस से ज्यादा धीमी मौत, दर्दनाक मौत और अंत आज के लोगों के लिए और क्या हो सकती है।
एक ऐसी ही मौत का प्रत्यक्ष गवाह
एक छोटा सा कवि
Abhishekism 💕