Saturday, November 28, 2020

नए रास्ते ईजाद करने में माहिर शायरा : रेणु नय्यर

 अल्बर्ट आइंस्टीन, स्टीव जॉब्स, बिल गेट्स, मार्क जुकरबर्ग, सरोजिनी नायडू, मदर टेरेसा, अमृता प्रीतम, दीपा मेहता, कल्पना चावला, ये चंद नाम हैं जिन्होंने अपने नज़रिए से दुनियां को और भी अधिक खूबसूरत बना दिया, हमारे बीच ऐसा ही एक और नाम है आदरणीय रेणु नय्यर जी का, जिन्होंने ना सिर्फ़ ऊर्दू गज़लों की दुनियां में एक आला मुकाम हासिल किया, बल्कि अपनी नई सोच से कई नई लड़कियों, बच्चियों, महिलाओं के लिखने और मंच पर पहुंचने के सपने को और भी सशक्त स्वरूप प्रदान किया है।


अक्सर दुनियां में लोग पहले , नई चीज़, बदलाव का विरोध करते हैं,बाद में सब उसी को अपनाने लग जाते हैं। छायावाद की शुरुआत भी जयशंकर प्रसाद, सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला', सुमित्रानंदन पंत, महादेवी वर्मा जी ने की,और अंततः छायावाद के प्रमुख स्तंभ बन गए।

जैसे देश में कंप्यूटर आने का और आधुनिक मशीनों का विरोध हुआ और फिर सभी को जब उनकी अहमियत पता चली तो सभी ने इसे अज़माया और अपनाया, वैसे ही जैसे नये विचार सुकरात और कार्ल मार्क्स ने दिए।  रेणु नय्यर जी यकीनन अदब और सुखनवरी की दुनियां में अपनी नई सोच और नये नज़रिए के लिए जानी जाती हैं और इस बार तो सोने पे सुहागा ये है की आपने अपनी बहर ईजाद की है।

हम कौन हैं, क्या हैं,यह मायने नहीं रखता, मायने रखता है तो सिर्फ़ कि हम कौन सा काम, किस मंशा से कर रहे हैं।

आप भी दशरथ मांझी की तरह एक नया आयाम स्थापित कर रही हैं, आने वाले वक्त में दुनियां आपकी इस बहर को यकीनन आपके नाम से ही जानेगी। आपको आपके उज्ज्वल भविष्य के लिए हार्दिक शुभकामनाएं, आप यूं ही सफ़लता के नए आयाम स्थापित करती रहें।

पेश ए ख़िदमत है रेणु नय्यर साहिबा की गज़ल


 


तुम जो चुपचाप ख़यालों में आ के बैठ गए 

ख़ुद ब ख़ुद अश्क़ रुमालों में आ के बैठ गए 

تم جو چپ چاپ خیالوں میں آ کے بیٹھ گے 

خود بہ خود اشک رومالوں میں آ کے بیٹھ گئے 


हम ने हर बार इन्हीं से शिफ़ाएँ हासिल कीं

आप के ग़म जो मिसालों में आ के बैठ गए 

ہم نے ہر بار انہیں سے شفأیں حاصل کیں 

آپ کے غم جو مثالوں میں آ کے بیٹھ گئے 


मुतमईनी तो जवाबों का मुक़द्दर न बनी

रंज कितने ही सवालों में आ के बैठ गए 

مطمئینی تو جوابوں کا مقدّر نہ بنی 

رنج کتنے ہی سوالوں میں آ کے بیٹھ گئے 


लुत्फ़ देने जो लगी थी हमें ये तन्हाई 

हिज्र ख़ुद अपने विसालों में आ के बैठ गए 

لطف دینے جو لگی تھے ہمیں یہ تنہائی 

ہجر خود اپنے وصالوں میں آ کے بیٹھ گئے 


रंग जब से मेरे साये ने अपना बदला है

सब अंधेरे भी उजालों में आ के बैठ गए 

رنگ جب سے میرے سآئے نے اپنا بدلہ ہے 

سب اندھیرے بھی اجالوں میں آ کے بیٹھ گئے 


जिन के हमराह बने थे कभी तुम्हारे कदम 

वो सफ़र पाँव के छालों में आ के बैठ गए 

جن کے ہمراہ بنے تھے کبھی تمھارے قدم 

وہ سفر پاؤں کے چھالوں میں آ کے بیٹھ گئے 


बर-सरे-राह तमाशा हमारा जब भी बना 

आप भी देखने वालों में आ के बैठ गए 

بر سر راہ تماشا ہمارا جب بھی بنا 

آپ بھی دیکھنے والوں میں آ کے بیٹھ گئے


- Renu Nayyar


(Article by Abhishek Tiwari)

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